बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा, तेलतुंबडे की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज की
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद के कथित माओवादी संपर्क मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति पी.डी. नाइक ने उनकी अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने उनकी गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की अवधि चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी ताकि वे सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।
पुणे पुलिस ने एक जनवरी 2018 को पुणे जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा के बाद माओवादी संपर्कों तथा कई अन्य आरोपों में नवलखा, तेलतुंबडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया।
पुणे पुलिस के अनुसार, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एल्गार परिषद सम्मेलन में उत्तेजक भाषण और उकसावे वाले बयान दिए गए जिससे अगले दिन कोरेगांव भीमा में जातीय हिंसा भड़क उठी। पुलिस ने आरोप लगाया कि इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।
तेलतुंबडे और नवलखा ने पिछले साल नवंबर में अग्रिम जमानत मांगते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। इससे पहले पुणे की एक सत्र अदालत ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत याचिकाओं के निस्तारण की सुनवाई लंबित रहने के कारण गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी। पुणे पुलिस मामले की जांच कर रही थी लेकिन केंद्र ने पिछले महीने इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी।
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