अरविंद केजरीवाल: IIT में पढ़ने वाला लड़का ऐसे बना दिल्ली का मुख्यमंत्री, जानें पूरा सफर
नई दिल्ली: साल 2013 में अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। लेकिन, 49 दिन सरकार चलाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। राजनीतिक गलियारे में इसे अरविंद केजरीवाल की सबसे बड़ी भूल के तौर पर पेश किया जाने लगा। शायद ऐसा कहने वाले वो लोग तब तक ये नहीं समझ पाए होंगे कि 'अरविंद' कीचड़ में ही खिलता है और केजरीवाल ने अपने बयानों और भाषणों में भ्रष्टाचार को देश की सबसे बड़ी कीचड़ के तौर पर जनता के सामने रखा। नतीजा ये हुआ कि 2015 में केजरीवाल फिर मुख्यमंत्री बने और पहले से ज्यादा बड़ी जीत के साथ बने।
2015 के बाद अब 2020 में भी दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को ही चुना। ऐसे में 2013 से 2020 तक अरविंद केजरीवाल का सफर कैसा रहा? यह तो आपने लगातार खबरों में पढ़ा, सुना और देखा ही होगा। लेकिन, क्या आपने कभी अरविंद केजरीवाल के अतीत में झांकने की कोशिश की है कि आखिर उनकी शुरुआत कहा से हुई? कैसे एक IIT में पढ़ने वाले लड़के ने दिल्ली की सत्ता तक का सफर तय किया? नहीं! तो कोई बात नहीं नीचे के 25 वाक्यों में आज जान लीजिए कि आखिर कैसे IIT में पढ़ने वाला लड़का दिल्ली का मुख्यमंत्री बन गया।
स्टूडेंट से सीएम तक
- आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
- आईआईटी हॉस्टल में 'मेस सेक्रेट्री' का चुनाव लड़ा था।
- पढ़ाई के साथ समसामियक मुद्दों पर डिबेट में दिलचस्पी रही
- टिस्को में बतौर असिस्टेंट इंजीनियर पहली नौकरी लगी।
- नौकरी करते हुए 2 बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की।
- मन माफिक रैंक नहीं मिली, तो तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी।
- 1992 में नौकरी छोड़कर मदर टेरेसा के साथ जुड़ गए।
- कोलकाता में काम के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी करते रहे।
- 1995 की परीक्षा में इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज के लिए चुने गए।
- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर बहाली हुई।
- नौकरी करते हुए 'परिवर्तन' नाम का एनजीओ शुरू किया।
- 'परिवर्तन' के पहले वोलेंटियर मनीष सिसोदिया बने।
- रिश्वत खोरी के खिलाफ पहली मुहिम अपने दफ्तर से शुरू की।
- 'परिवर्तन' के जरिए 800 लोगों का काम बिना रिश्वत के कराया।
- 'परिवर्तन' के लिए दिन में नौकरी और रात में पोस्टर चिपकाते थे।
- रिश्वतखोरी के साथ सूचना के अधिकार के लिए अभियान चलाया।
- 2006 में मैग्सेसे पुरस्कार मिला।
- पुरस्कार में मिले 40 लाख रुपये लोकपाल आंदोलन में दे दिए।
- सोशल वर्क के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी।
- भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ लड़ाई जारी रखी।
- अन्ना के लोकपाल आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
- अन्ना के लोकपाल आंदोलन में मिले कई लोगों को साथ जोड़ा।
- 2012 में राजनीतिक पार्टी बनाई, चुनाव लड़ने का फैसला किया
- राजनीति में आने पर अन्ना नाराज हुए, लेकिन फैसला नहीं बदला
- 2013 में पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने
विधानसभा चुनाव 2020 के परिणाम
11 फरवरी को आम आदमी पार्टी एक बार फिर से दिल्ली की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के लिए तैयार हो गई। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी को 62 और भाजपा को आठ सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस इस बार भी अपना खाता तक नहीं खोल पाई। इस बार AAP को 53.6 फीसदी वोट मिला है जबकि भाजपा को 38.5 फीसदी और कांग्रेस को सिर्फ 4.26 फीसदी वोट शेयर ही मिला।
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