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    ज्योतिबा फूले जयंती: महिलाओं की शिक्षा के लिए खोला था स्कूल, पढ़ें महान दार्शनिक के विचार

    ज्योतिबा फुले जयंती Image Source : TWITTER//RONAKBKOTHARI

    देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने में अहम किरदार निभाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले की आज जयंती है।  11 अप्रैल 1827 कोस ज्योतिबा फुले का जन्म पुणे में हुआ था। उनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविंदराव था। वह एक दार्शनिक, विचारक और लेखक थे। उन्होंने कई कुरीतियों से समााज को छुटकारा दिखाया था। इसके साथ ही समाज में अलग-थलग रह रहे लोगो को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया। 

    ज्योतिबा फुले ने अपनी धर्मपत्नी सावित्री को पढ़ाया जिसके बाद वह दूसरों को भी पढ़ाने लगीं। इसके साथ ही सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली महिला अध्यापिका बनीं। 

    भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान -पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे।

    आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

    ज्‍योतिबा फुले

    ज्‍योतिबा फुले   

    अच्छा काम पूरा करने के लिए बुरे उपाय से काम नहीं लेना चाहिए।

    आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

    ज्‍योतिबा फुले

    ज्‍योतिबा फुले 

    शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है।

    सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है। और सभी मनुष्यों में नारी श्रेष्ठ है। स्त्री और पुरुष जन्म से ही स्वतंत्र है। इसलिए दोनों को सभी अधिकार सामान रूप से भोगने का अवसर मिलना चाहिए।



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