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    कोटा से वापसी के लिए भूख हड़ताल पर बैठे बिहार के छात्र, नहीं ले जाना चाहते सीएम नीतीश कुमार

    Bihar students in Kota on hunger strike, send SOS to CM Nitish Kumar

    नई दिल्ली: कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण राजस्थान के कोटा में मेडिकल (नीट) और इंजीनियरिंग प्रवेश (जेईई) परीक्षा की कोचिंग ले रहे करीब 40000 छात्र वहीं अटक गये। इनमें बिहार के भी छात्र फंस गए हैं। ये छात्र अब घर वापसी के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दिया है। छात्रों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने घर जाने के लिए बसें भेजने की अपील की है। ये छात्र अपने हॉस्टल्स में हाथों में तख्तियां लेकर बिहार सरकार से घर बुलाने और परिवार के साथ रहने के लिए निवेदन कर रहे हैं। गांधी जी के सिद्धान्तों को दर्शाते हुए छात्र बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो का संदेश भी दे रहे हैं क्योंकि देश में उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है। 

    छात्र हॉस्टल्स में ही रहकर उपवास कर रहे हैं और इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सब अपनी आवाज बिहार सरकार तक पहुंचाने के लिए कर रहे हैं ताकि वे जल्द घर जा सकें। उन्होंने कहा कि कई दूसरे राज्यों के छात्र यहां से अपने घर जा चुके हैं ऐसे में हमें भी यहां से ले जाने की व्यवस्था की जाए। हालांकि, बिहार सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कोटा से छात्रों को लाना फिलहाल संभव नहीं है।

    कुछ दिन पहले इन छात्र-छात्राओं को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने अपील की कि वह लॉकडाउन का पालन करें और जो लोग जहां हैं वहीं पर ठहरे रहें। उन्होंने कहा, "कोटा में पढ़ने वाले छात्र संपन्न परिवार से आते हैं। अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के साथ रहते हैं, फिर उन्हें क्या दिक्कत है। जो गरीब अपने परिवार से दूर बिहार के बाहर हैं फिर तो उन्हें भी बुलाना चाहिए। लॉकडाउन के बीच में किसी को बुलाना नाइंसाफी है। इसी तरह मार्च के अंत में भी मजदूरों को दिल्ली से रवाना कर लॉकडाउन को तोड़ा गया था।"

    इस बीच लॉकडाउन के कारण कोटा में अटके करीब 18,000 कोचिंग छात्र अपने-अपने घर लौट चुके हैं। अब तक वहां से पांच राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 18 हजार विद्यार्थी अपने-अपने घर जा चुके हैं। उनमें उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के करीब 12 हजार 500, मध्य प्रदेश के 2800, गुजरात के 350 तथा दादरा एवं नागर हवेली के 50 बच्चे शामिल हैं। इसी प्रकार कोटा संभाग के अन्य जिलों के 2200 बच्चों को भी सकुशल उनके घर पहुंचाया गया है। कोटा से आज हरियाणा के 1000, असम के 400 तथा राजस्थान के विभिन्न जिलों के 1500 बच्चे अपने-अपने घरों के लिए रवाना होंगे। 

    इसी तरह शनिवार को हिमाचल प्रदेश के 100, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के 500 बच्चे बसों से तथा 300 बच्चे अपने निजी साधनों से घर जाएंगे। कोटा जिला प्रशासन ने घर लौटने के इच्छुक राजस्थान के अन्य जिलों के कोटा में पढ़ रहे कोचिंग विद्यार्थियों के लिए एक गूगल फॉर्म एचटीटीपी://बिआईटी.एलवाई/राज_स्टूडेंट_घर_वापसी जारी किया है। इस पर ऐसे छात्र को अपना मोबाइल नंबर, कोचिंग आईडी प्रूफ तथा जिस माध्यम से वह घर जाना चाहता है, उसे दर्शाना होगा। साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर 0744-2325342 भी शुरू की गई है। इस पर अपने घर जाने के इच्छुक कोटा के कोचिंग छात्र सम्पर्क कर सकते हैं। 

    गौरतलब है कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही कोटा में लगभग 40 हजार कोचिंग विद्यार्थी फंस गए थे। एक सरकारी बयान के अनुसार अभी भी बिहार के करीब 11 हजार, झारखण्ड के 3 हजार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के 2500-2500 बच्चे, महाराष्ट्र के 1800 एवं ओडिशा के करीब एक हजार बच्चे कोटा में मौजूद हैं। जम्मू-कश्मीर से बच्चों की सकुशल वापसी के लिए वार्ता की जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपील की है कि जिन राज्यों के बच्चे अभी कोटा में हैं, वे भी मानवीय आधार पर उन्हें अपने-अपने परिवार के पास ले जाने के लिए राज्य सरकार का सहयोग करें। 



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