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    Rajat Sharma’s Blog: डॉक्टरों पर हमला करने वाले जेल की सलाखों के पीछे होने चाहिए

    India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma | India TV

    मुरादाबाद में एक एम्बुलेंस के अंदर खून से लथपथ एक सीनियर डॉक्टर के दृश्यों ने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया। यूपी के मुरादाबाद के एक इलाके में हेल्थकेयर स्टाफ के ऊपर भीड़ ने उस हमला कर दिया था जब वे क्वारंटीन के लिए लोगों को लेने गए थे। मुरादाबाद में हाजी नेब मस्जिद इलाके में 53 में से 17 लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था। इनमें से 2 लोग निजामुद्दीन के मरकज में हुई तबलीगी जमात की सभा में शामिल हुए थे। इन दोनों में से एक, सरताज नाम के शख्स की बाद में मौत हो गई। डॉक्टर एस. सी. अग्रवाल के नेतृत्व में हेल्थ केयर स्टाफ पीड़ित के परिजनों को ले जाने के लिए पुलिस दल के साथ गया था ताकि उन्हें क्वारंटीन किया जा सके।

    जब पुलिस ने इलाके में प्रवेश किया, तो उन पर पत्थरों और ईंटों की बारिश की गई, और हेल्थ केयर स्टाफ पर भी हमला बोला गया। एंबुलेंस के अंदर लेटे डॉक्टर अग्रवाल के चेहरे पर गहरी चोट लगने से खून टपक रहा था, साथ ही पत्थरबाजी में 2 अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी घायल हुए थे। घटना के बाद रैपिड एक्शन फोर्स ने इलाके में फ्लैग मार्च किया और कई पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया गया।

    मैं पूछना चाहता हूं कि डॉक्टर अग्रवाल का गुनाह क्या था? क्या उनका गुनाह यह था कि वह COVID -19 मरीज के परिजनों को स्क्रीनिंग और क्वारंटीन के लिए मनाने गए थे, जो कि बेहद जरूरी था? क्या कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित सरताज के संपर्क में आए उसके परिजनों को बचाने की कोशिश करना उनका गुनाह था? उत्तर प्रदेश सरकार ने हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके सही किया है और जो बच गए हैं उनके खिलाफ भी मामला दर्ज होना चाहिए।

    ऐसी ही एक घटना महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई। COVID-19 संदिग्धों की स्क्रीनिंग करने के लिए एक हेल्थ केयर टीम एक गांव में गई थी। उनकी एम्बुलेंस पर पत्थरबाजी की गई और खुद को बचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को वहां से भागना पड़ा। दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ कम से कम 30 COVID-19 रोगियों ने दुर्व्यवहार किया एवं गालियां दीं, और जब अन्य डॉक्टर उनकी मदद के लिए आए, तो उनके ऊपर भी हमला किया गया। डॉक्टरों को मदद के लिए एक कमरे में छिपना पड़ा और पुलिस को फोन करना पड़ा।

    मैं उपद्रवियों से और पथराव करने वालों से कहना चाहता हूं कि जब भी आप वायरस की चपेट में आएंगे, तो ये डॉक्टर और नर्स आपको बचा लेंगे। कोई भी नीम हकीम आपको इस वायरस से नहीं बचा सकता है और सिर्फ डॉक्टर ही मौत के मुंह से आपको निकाल सकते हैं। कानपुर में ऐसी ही घटना हुई थी, जहां डॉक्टरों पर थूकने वाले लोग बाद में हाथ जोड़कर उनसे खुद की जान बचाने की विनती कर रहे थे। क्या ये लोग कल्पना कर सकते हैं कि अगर डॉक्टर और नर्स हड़ताल पर चले जाएं और काम करने से इनकार कर दें तो क्या होगा? महामारी पूरे पूरे इलाके और कस्बे में फैल जाएगी, फिर वायरस की चपेट में आने वाले लोगों को बचाने के लिए वहां कोई नहीं होगा।

    इन घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तुरंत कार्रवाई में जुट गए और आदेश दिया कि मुरादाबाद में हमलावरों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया जाए। दूसरी राज्य सरकारों को भी डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के काम में बाधा डालने की कोशिश करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इन लोगों को जेल में डाल दिया जाना चाहिए और क्वारंटीन के उपायों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। (रजत शर्मा)

    देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड



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