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    रामायण व महाभारत पर प्रशांत भूषण ने कही ऐसी बात, सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

    Supreme Court grants Prashant Bhushan relief from arrest for Ramayana post

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्‍ता प्रशांत भूषण को एक टिप्‍पणी इतनी भारी पड़ी कि उन्‍हें गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद सुप्रीम का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सुप्रीम ने शुक्रवार को अधिवक्ता प्रशांत भूषण को गिरफ्तार होने से बचा लिया। एक रिटायर्ड सैन्यकर्मी जयदेव जोशी ने भूषण के खिलाफ गुजरात में प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि अधिवक्ता ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक रामायण और महाभारत की तुलना अफीम से कर हिंदू धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है।

    प्रशांत भूषण ने अपने एक ट्वीट में कहा था कि ऐसे समय में जब लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोग भूखे हैं और अपने घर जाने के लिए सैकड़ों मील पैदल चलने को विवश हैं, हमारे हृदयहीन कई मंत्री लोगों को और स्वयं रामायण व महाभारत जैसा अफीम खिला और खा रहे हैं।

    मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने कहा कि कोई भी टीवी पर कुछ भी देख सकता है, आप कैसे कह सकते हैं कि लोग क्या देख सकते और क्या नहीं देख सकते हैं? आप लोगों के टीवी देखने पर आपत्ति कैसे उठा सकते हैं?

    प्रशांत भूषण का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि लोग टीवी पर जो कुछ देख रहे हैं, हमें उस पर बात नहीं करनी है, बल्कि उस एफआईआर पर बात करनी है जो जोशी ने दर्ज कराई है। मुद्दा यह है कि उन्होंने अपनी शिकायत में प्रशांत भूषण के 28 अप्रैल के ट्वीट में लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन द्वारा रामायण और महाभारत सीरियल के लिए अफीम शब्द का उपयोग किए जाने पर आपत्ति उठाई है।

    भूषण ने इस एफआईआर को चुनौती दी है और इसे खारिज किए जाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने गुजरात पुलिस को निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक भूषण की गिरफ्तारी न की जाए। शीर्ष अदालत ने गुजरात पुलिस से इस मामले पर दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।



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