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    भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन लाने के लिए निजी-सार्वजनिक भागीदारी काम कर रही: डॉ. हर्षवर्धन

    Private-public partnership working to bring Corona vaccine to India: Harsh Vardhan Image Source : FILE PHOTO

    नई दिल्ली | भारत के साथ ही दुनिया भर के देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद डॉ. हर्षवर्धन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारी बोर्ड के प्रमुख की जिम्मेदारी मिली है। इस संकट की घड़ी में वह देश के सबसे व्यस्त व्यक्तियों में से एक हैं, क्योंकि उनके ऊपर भारत को इस महामारी के प्रभाव से मुक्त कराने की जिम्मेदारी है। डॉ. हर्षवर्धन ने आईएएनएस के साथ बात करने के लिए समय निकाला और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बात की। पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश: 

    प्रश्न: अमेरिका, ब्रिटने और चीन जैसे अन्य देशों की तुलना में भारत में कोविड-19 मामलों की स्थिति क्या है? कुछ शोधों से पता चल रहा है कि उष्णकटिबंधीय जलवायु में होने वाली मौतें केवल छह फीसदी हैं। क्या बढ़ते तापमान से इस वायरस का खात्म हो जाएगा?

    उत्तर: भारत में निश्चित रूप से हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल मार्गदर्शन में सरकार द्वारा समय पर लिए गए निर्णयों के कारण स्थिति बेहतर है। प्रति लाख जनसंख्या पर पुष्टि हुए मामलों को देखें तो 26 मई तक भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर 10.7 मामले हैं, जबकि वैश्विक औसत 69.9 है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रति लाख जनसंख्या पर 486 मामले, ब्रिटेन में प्रति लाख जनसंख्या पर 390 मामले और चीन में प्रति लाख जनसंख्या पर 5.8 मामले हैं। इसके अलावा प्रति लाख आबादी के हिसाब से मृत्यु दर के मामले में भारत में अब तक प्रति लाख जनसंख्या पर 0.3 मौतें हुई हैं, जबकि वैश्विक औसत प्रति लाख जनसंख्या पर 4.4 मौत है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रति लाख आबादी पर 29.3 मौतें; ब्रिटेन में प्रति लाख जनसंख्या पर 55.3 मौतें और चीन में प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से 0.3 मौतें हुई हैं।

    विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि संक्रमण और वायुमंडलीय तापमान की दर के बीच कोई संबंध प्रतीत नहीं होता है। पश्चिमी देशों की तुलना में उष्णकटिबंधीय देशों में कोविड-19 की निम्न मृत्यु दर विभिन्न कारणों से हो सकती है, जैसे कि कम जनसंख्या घनत्व, लोगों की कम औसत आयु और पश्चिमी देशों की तुलना में उष्णकटिबंधीय देशों में कम अंतरराष्ट्रीय यात्राएं।

    प्रश्न: आप कह रहे हैं कि लोगों को वायरस के साथ रहना सीखना होगा। सरकार के लिए सामाजिक दूरी को बनाए रखना किस प्रकार से संभव होगा। क्या विभिन्न चीजों को खोलने की प्रक्रिया जारी रहेगी? क्या यह कैच-22 है?

    उत्तर: मैं अनुभव के साथ कहता हूं कि यह नया वायरस, एसएआरएस-सीओवी-2 जो कोविड- 19 का कारण बनता है, इसकी अविश्वसनीय प्रसार की दर काफी तेज है। मगर साथ ही इसकी मृत्यु दर भी कम है। भारत पूर्ण रूप से राष्ट्रव्यापी बंद और साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने से हमें इस घातक वायरस की दर को कम करने में मदद मिली है। हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि वायरस कब पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। यह वायरस आने वाले समय में हमारे जीवन का हिस्सा भी बना रह सकता है।

    हम इसके प्रसार से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और इस बीमारी से निपटने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। हम इस तथ्य से भी सावधान हैं कि इस बंद ने काफी लोगों की आजीविका को प्रभावित किया है। हम अपनी अर्थव्यवस्था को धीमा नहीं होने दे सकते, क्योंकि यह लंबे समय में विनाशकारी होगा। हम बंद के हर नए चरण के साथ उपायों को अपनाते हुए अर्थव्यवस्था को खोल रहे हैं।

    प्रश्न: क्या आपको लगता है कि जिन लोगों में वायरस के लक्षण नहीं पाए जाते वह चिंता का कारण हैं, जो संभावित वायरस वाहक हैं और वे ग्रामीण भारत में वायरस को और अधिक गहराई तक ले जा सकते हैं?

    उत्तर: मैं डब्ल्यूएचओ के बारे में कुछ प्रयोगशाला-पुष्टि वाले मामलों के बारे में जानता हूं, जिनमें वास्तव में लक्षण नहीं पाए गए हैं। यह उतना ही सच है, जितना कि आज तक कोई भी स्पशरेन्मुख (बिना लक्षण) संचरण नहीं किया गया है। हाल ही में सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गुलाबी आंख, गंध या स्वाद की कमी, तेज ठंड लगना और गले में खराश जैसे और अधिक लक्षणों को सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) अमेरिका, द्वारा कोविड-19 लक्षणों की सूची में शामिल किया गया है। इससे पहले कि इन लक्षणों को भारत में हमारी सूची में शामिल किया जाए, इससे अधिक अध्ययन की आवश्यकता होगी। आज भी कोविड-19 के लगभग 80 फीसदी मामलों में, जो भारत में रिपोर्ट किए जा रहे हैं, इनमें मरीजों में या तो बिल्कुल नहीं या हल्के लक्षण पाए गए हैं। ये मरीज ज्यादातर पुष्ट मामलों के संपर्क हैं।

    प्रश्न: दिल्ली, मुंबई, आगरा, पश्चिम बंगाल, इंदौर और अहमदाबाद की बिगड़ती स्थिति के बारे में आप क्या सोचते हैं?

    उत्तर: मैं दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ नियमित संपर्क में हूं। राज्य इस बीमारी को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कोविड-19 के उपचार के लिए दवाओं या वैक्सीन की अनुपस्थिति में हमारा जोर विशेष रूप से पुष्टि किए गए मामलों के सावधानीपूर्वक संपर्क का पता लगाकर और घर-घर के सर्वेक्षण के माध्यम से सक्रिय मामले की खोज के साथ-साथ पर्याप्त देखभाल पर जोर दिया जा रहा है।

    प्रश्न: हमारे देश में वैक्सीन की स्थिति क्या है, सरकार निजी क्षेत्र के साथ अनुसंधान का समन्वय कैसे कर रही है और कब तक हम इस मोर्चे पर कुछ सकारात्मक उम्मीद कर सकते हैं? इसमें सीएसआईआर भी काम कर रहा है?

    उत्तर: जहां तक भारत का संबंध है, यह दुनिया में वैक्सीन (टीकों) के सबसे बड़े निमार्ताओं में से है। लगभग आधा दर्जन प्रमुख वैक्सीन निमार्ता भारत में हैं और पोलियो, मेनिन्जाइटिस, निमोनिया, रोटावायरस, बीसीजी, खसरा, मम्स और रूबेला के खिलाफ खुराक बनाते हैं।

    भारत में कोविड-19 की शुरूआत के बाद से वैज्ञानिक संक्रमण के खिलाफ एक प्रभावी टीका लाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, सीएसआईआर के माध्यम से और उनके स्वायत्त संस्थानों और बीआईआरएसी, टीडीबी और एसईआरबी जैसी एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार अकादमिक और वैक्सीन उद्योगों का समर्थन कर रही है, ताकि एक प्रभावी वैक्सीन विकसित की जा सके।

    वर्तमान में 14 से अधिक वैक्सीन उम्मीदवार विकास के विभिन्न चरणों में हैं। चार से अधिक प्री-क्लिनिकल के एक उन्नत चरण में हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा सहायता के लिए लगभग 10 की सिफारिश की गई है।

    सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को एक पुन: संयोजक बीसीजी वैक्सीन उम्मीदवार के तीसरे चरण के मानव नैदानिक परीक्षण के लिए वित्त पोषित किया जा रहा है। कैडिला हेल्थकेयर को एक डीएनए वैक्सीन उम्मीदवार, भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के लिए एक सुरक्षित निष्क्रिय रेबीज वेक्टर प्लेटफॉर्म के लिए वित्त पोषित किया जा रहा है।



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