धूमावती जयंती आज: दस महाविद्याओं में से एक मानी जाने वाली देवी के इस मंत्र का जाप करने से मिलेगा शत्रुओं से छुटकारा
आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और और शनिवार का दिन है। अष्टमी तिथि शाम 7 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। आप जानते हैं कि प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री दुर्गाष्टमी का व्रत करने का विधान है। आज के दिन व्रत कर देवी दुर्गा की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही समस्त समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को शुक्ला देवी का पूजन करने का विशेष प्रावधान है।
आज ही के दिन कश्मीर में माता क्षीर भवानी का मेला भी लगता है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार लखनऊ के चौक इलाके में बड़ी काली जी मन्दिर वाली गली के एक जीर्ण मन्दिर में क्षीर भवानी की एक बड़ी ही भव्य प्रतिमा है। समझा जाता है कि लखनऊ के मिर्जा जुम्मा बाग के पीछे, कटरा बिजनबेग में स्थित कश्मीरी मोहल्ले में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के पूर्वजों ने यह प्रतिमा स्थापित की थी। कश्मीरी पंडित बाबा सदगुरु और राजा गुरु के जमाने तक इस मूर्ति की रेग्युलर पूजा होती थी। वह प्रतिमा आज भी जीवन्त है।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानि कि आज ही धूमावती जयंती है। धूमावती दस महाविद्याओं में से एक हैं। ये तंत्र मंत्र की देवी हैं। शत्रु स्तंभन इनका अत्यंत विशिष्ट गुण है। इनकी उपासना से किसी भी शत्रु का उन्मूलन किया जा सकता है और शत्रुओं से छुटकारा पाया जा सकता है। आज के दिन जाप करके आप अपने किसी भी काम में सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं और शत्रुओं से छुटकारा पा सकते हैं। धूमावती के खास यंत्र का निर्माण करने के बाद अगर आप देवी मां के मंत्र का जप करेंगे तो आपकी सिद्धि लंबे समय तक सुनिश्चित होगी।
दस महाविद्याओं में से एक देवी धूमावती के मंत्र और यंत्र ऐसे बनाएं
मंत्र
सबसे पहले मैं आपको धूमावती के विशेष मंत्र के बारे में बता देता हूं, ध्यान से सुनियेगा और चाहें तो नोट भी कर लीजियेगा। मंत्र इस प्रकार है
धूं धूं धूमावति ठः ठः स्वाहा
आज के दिन धूमावती के इस विशेष मंत्र का जाप करने से आप अपने शत्रुओं पर आसानी से अपना कंट्रोल कर सकते हैं, उन्हें अपने काबू में कर सकते हैं। लेकिन इस मंत्र का जाप करने से पहले आपको धूमावती के यंत्र का निर्माण भी जरूर करना चाहिए, जिससे आपको मिलने वाले लाभ में कई गुना बढ़ोतरी होगी और आपको कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होगी।
कैसे करें देवी धूमावती के यंत्र का निर्माण
यंत्र निर्माण के लिये वैसे तो भोजपत्र और अनार की कलम को उपयोग में लिया जाता है। लेकिन अगर आपके पास भोजपत्र और अनार की कलम का इंतजाम न हो तो आप एक सफेद कोरा कागज और एक लाल पेन लीजिये। अब उस कागज पर लाल पेन की सहायता से सबसे पहले एक त्रिभुज बनाइए। अब उस त्रिभुज के ऊपर ही विपरित दिशा में एक ओर त्रिभुज बनाइए। इस प्रकार आपका एक षटकोण तैयार हो जायेगा। अब इस षटकोण के ऊपर, उसकी किनारियों को छूते हुए एक वृत्त बनाइए। अब वृत्त के ऊपर आठ पंखुड़ियां बनाइए। इस प्रकार आपका यंत्र बनकर तैयार हो जायेगा। यंत्र निर्माण होने के बाद यंत्र के बींचो-बीच देवी धूमावती का मंत्र भी लिखें। मंत्र इस प्रकार है-
धूं धूं धूमावति ठः ठः स्वाहा
इस प्रकार आपका यंत्र पूरी तरह से तैयार है। अब इस यंत्र को अपने घर के मन्दिर में पुष्पों के ऊपर स्थापित करें। इसके बाद विधि-पूर्वक धूप-दीप आदि से उस यंत्र की पूजा करें और पूजा के बाद भी यंत्र के सामने दीपक को जलता रहने दीजिये। अब वहीं मन्दिर के सामने आसन बिछाकर बैठ जायें और देवी धूमावती के मंत्र का जाप करें। मंत्र है- धूं धूं धूमावति ठः ठः स्वाहा। आज के दिन आप इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। बाकी आपकी इच्छा और आपके कार्य पर निर्भर करता है। इस प्रकार आज के दिन यंत्र का निर्माण करके मंत्र जाप करने से आपको माता धूमावती की कृपा प्राप्त होगी|
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आप अपने शत्रु का नाश करने में सफल होंगे। आपका कैसा भी शत्रु हो वो इस महाशक्ति के आगे ठहर नहीं सकता। घहराती आंधियाँ भी इस शक्ति के आगे अपना रास्ता बदलने को मजबूर हो जाती हैं। याद रहे कि कोविड 19 भी आपका एक शत्रु ही है। इस महाविद्या के प्रयोग से आपको जल्द ही अपने शत्रुओं से छुटकारा मिलगा।
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