चंद्रग्रहण 2020: कुछ मटमैला सा दिखाई देगा कल रात चांद, जानिए कैसे होती है चंद्रगहण की खगोलीय घटना
नई दिल्ली। इस साल (2020) लगने वाले दूसरा चंद्रगहण कल (5 जून, शुक्रवार) रात लगेगा। 5 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होगा। 5 जून को लगने वाला दूसरा चंद्रग्रहण 3 घंटे 18 मिनट का होगा। जिसकी शुरुआत 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से होगी और समाप्ति 6 जून को रात्रि 2 बजकर 32 मिनट पर होगी। ग्रहण 12 बजकर 55 मिनट पर अपने अधिकतम प्रभाव में हो सकता है। साथ ही आपको बता दें कि जून में ही अमावस्या के दिन यानी 21 तारीख को सूर्य ग्रहण अधिक प्रभावी होगा, जोकि भारत में दिखाई देगा। ये साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा।
5 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण पूरे भारत में देखा जा सकेगा। हालांकि, जहां आसमान में बादल होंगे वहां के लोग इस चंद्रग्रहण का नजारा नहीं देख सकेंगे। ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग भी देख सकेंगे। उपछाया चंद्र ग्रहण को केवल टेलीस्कोप के माध्यम से ही देखा जा सकेगा। दरअसल उपचाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा की एक धुंधली सी परत नजर आती है। इस घटना में चंद्रमा के आकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
चंद्रग्रहण के दौरान चांद कुछ मटमैला सा दिखाई देगा। ज्योतिष के अनुसार, उपछाया युक्त चंद्रगहण बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं होता है, इस दौरान सूतक काल भी मान्य नहीं होता है क्योंकि इसे वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता है। हांलाकि, ये उपछाया चंद्रग्रहण होने के कारम सामान्य चांद और ग्रहण में अंतर कर पना मुश्किल होगा। इससे पहले 10 जनवरी को साल का पहला चंद्रग्रहण लगा था।
5 और 6 जून की रात चंद्रग्रहण जानें ग्रहण और मोक्ष का समय
- चंद्रग्रहण स्पर्श 5 जून रात 11 बजकर 16 मिनट
- चंद्रग्रहण मध्य 6 जून रात 12 बजकर 55 मिनट
- चंद्रग्रहण मोक्ष 6 जून रात 02 बजकर 34 मिनट
चंद्रगहण पीनम्ब्रल यानी उप छाया ग्रहण है। यानी पृथ्वी की मुख्य छाया के बाहर का हिस्सा चांद पर पड़ेगा, जिससे उसकी चमक फीकी सी पड़ जाएगी। चंद्रग्रहण के दौरान चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया में पहुंचने से पहले ही उपछाया से निकल आएगा। इससे चांद का बिंब धुंधला हो जाएगा। हांलाकि, पूरे चंद्रग्रहण के दौरान चांद कहीं से कटा हुआ नहीं दिखेगा। साथ ही 5 जुलाई और 30 नवंबर को भी चंद्रग्रहण लगेगा।
जानिए क्या होता है उपछाया चंद्रग्रहण
खगोल विज्ञान के अनुसार कोई बी चंद्रग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है जिससे उसकी छवि कुछ मंद पड़ जाती है तथा चंद्रमा का प्रभाव मलीन पड़ जाता है। इसे उप छाया चंद्रग्रहण कहा जाता है। इस घटना को नग्न आंकों के द्वारा नहीं देखा जा सकता है। सामान्य चंद्रग्रहण की तरह उपछाया चंद्रग्रहण बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं होता है।
जानिए कैसे लगता है चंद्रग्रहण, 3 तरह के होते हैं चंग्रग्रहण
खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्रग्रहण लगने का कारण ये है कि जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के मध्य आ जाती है तो सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंचता है। इस खगोलीय घटना को ही चंद्रग्रहण कहते हैं। चंद्रमा का खुद का प्रकाश नहीं होता है। सूर्य से परावर्तित प्रकाश के कारण ये चमकदार नजर आता है। पूर्ण चंद्रग्रहण- पृथ्वी की छाया जब पूरी तरह से चंद्रमा पर पड़ती है। तब पूर्ण चंद्रग्रहण लगता है। आंशिक चंद्रग्रहण- पृथ्वी की छाया जब आंशिक रूप से चंद्रमा पर पड़ती है तो आंशिक चंद्रग्रहण लगता है। उपछाया चंद्रग्रहण- जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया की हल्की उपच्छाया से गुजरता है तो उपच्छाया चंद्रग्रहण लगता है।
कैसे देखें ये चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन यह एक उपछाया चंद्रग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही देखा जा सकेगा। अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा।
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