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    कोरोना मरीजों को मुफ्त में पहुंचाएंगे Coronil दवाई, स्वामी रामदेव का बयान

    कोरोना मरीजों को मुफ्त में पहुंचाएंगे Coronil दवाई, स्वामी रामदेव का बयान Image Source : PTI/FILE

    हरिद्वार: योग गुरू स्वामी रामदेव ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम में दावा किया कि वह पतंजलि की कोरोना वायरस की दवाई 'कोरोनिल' को मुफ्त में मरीजों तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, "300 से 500 रुपये की एक-एक गोली बना रहे हैं एलोपैथी वाले कोरोना के लिए और उनकी दुकानदारी चल रही है। मुझे अपनी दुकानदारी चलानी। मैं कोरोना के सभी रोगियों को मुफ्त में दवा देने के लिए तैयार हूं।"

    सबको दवा मुफ्त में देने के लिए तैयार हूं: रामदेव

    स्वामी रामदेव ने कहा, "मरीजों की 3 से 7 दिन में रिकवरी के लिए भी तैयार हूं। जिनके पास में एक कौड़ी भी न हो, वह चाहे लाख व्यक्ति हों या करोड़ व्यक्ति हों, इतना समर्थ बनाया है इस देश ने मुझे, मैं सबको दवा मुफ्त में देने के लिए तैयार हूं। जो समर्थ हों वह पैसे में खरीद लेना। जिसके पास पैसे नहीं होंगे, उसे घर बैठे दवा भेजूंगा हरिद्वार से, हमने तय किया है अभी।  कोशिश करेंगे कि 24 घंटे में उनको दवा मिल जाए।" 

    हाल ही में लॉन्च की थी 'कोरोनिल'

    स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के संस्थान 'पतंजलि' ने इसी महीने कोविड 19 की आयुर्वेदिक दवा 'कोरोनिल' लॉन्च की है। इस दवा को क्लिनिकल केस स्‍टडी और क्लिनिकल कंट्रोल्‍ड ट्रायल के बाद लॉन्च किया गया है। स्वामी रामदेव ने दवा को लॉन्च करते हुए कहा था कि इस दवाई से 3 से 7 दिनों में कोरोना के 100 फीसदी मरीज ठीक हो सकते हैं।

    कैसे करें दवाई का सेवन?

    कोरोनिल किट में मुख्य रूप से तीन दवा है। श्वसारि की 3-3 गोली दिन में तीन बार खाएं। कोरोनिल टैबलेट की 2-2 गोली 3 बार लें। अणु तेल की 5-6 बूंद नाक में डालनी है। गोली को हमेशा गर्म पानी से लें। दोपहर और रात के भोजन के आधे घंटे बाद लें। 15-80 साल के आयु वर्ग के लिए डोज हैं। 6-14 वर्ष की आयु वाले आधी मात्रा में लें। 

    कोरोनिल किट में तीन तरह की औषधि

    कोरोनिल दवा की की इस किट में तीन तरह की औषधि है- कोरोनिल, श्वसारि वटी और अणु तेल। कोरोनिल को तुलसी, अश्वगंधा और गिलोय से मिलाकर बनाया गया है। इससे इम्युनिटी को मजबूत करने में मदद मिलती है। श्वसारि वटी से सर्दी-जुकाम, डायबिटीज और बुखार आदि से निजात मिलती है। अणु तेल को नाक में डाला जाता है, जिससे श्वसन नली में मौजूद कोरोना के वायरस पेट में पहुंच जाते हैं और वहां मौजूद एसिड इन्हें खत्म कर देता है। 



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