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    लगातार म्यूटेट होने के चलते कमजोर हो रहा है कोरोना वायरस? वैज्ञानिकों ने बताई बड़ी बात

    वैज्ञानिकों ने पाया कि इटली के मरीजों में ऐसे साक्ष्य मिल रहे हैं, जो बताते हैं कि वायरस अब पहले जितना जानलेवा नहीं रह गया है। Image Source : AP REPRESENTATIONAL

    नई दिल्ली: हाल ही में कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना का संक्रमण भले ही तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह उतना घातक नहीं रह गया है। उनके मुताबिक, दुनिया भर में दहशत फैलाने वाला कोरोना वायरस जल्द ही खत्म हो जाएगा क्योंकि यह वायरस तेजी से कमजोर हो रहा है। उनका कहना है कि महामारी की शुरुआत में इसका संक्रमण जितना घातक था, अब वह वैसा नहीं है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इटली के मरीजों में ऐसे साक्ष्य मिल रहे हैं, जो बताते हैं कि वायरस अब पहले जितना जानलेवा नहीं रह गया है।

    ‘म्यूटेट होने के चलते हुआ कमजोर’

    आपको बता दें कि कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है यानी खुद को बदल रहा है। वायरस इंसान के सेल में जाकर खुद के जीनोम की कॉपी बनाता है। RNA वायरस में अकसर ऐसा होता है कि वह अपने पूरे जीनोम को हूबहू कॉपी नहीं कर पाता और कोई न कोई अंश छूट जाता है। इसी को वायरस का म्यूटेशन कहते हैं। म्यूटेशन से वायरस खुद को और तेज बनाता है मगर ज्यादा म्यूटेशन के बाद वह कमजोर हो सकता है और संक्रमण फैलाने लायक नहीं रहता।

    ‘शेर से बिल्ली बन चुका है कोरोना वायरस’
    द संडे टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनेवा में सेन माटीर्नो जनरल अस्पताल में संचारी रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर बाशेट्टी ने बताया कि मार्च और अप्रैल में इस वायरस का असर जंगल में एक शेर जैसा था, मगर अब यह पूरी तरह बिल्ली बन चुका है। अब तो 80 से 90 साल के बुजुर्ग भी बिना वेंटिलेटर के ठीक हो रहे हैं। पहले ये मरीज दो से तीन दिन में मर जाते थे। म्यूटेशन की वजह से वायरस अब फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा रहा है। यही वजह है कि अब वायरस कमजोर होता जा रहा है।

    ‘संक्रमण ज्यादा, मौतें कम’
    वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के कमजोर होने के चलते भले ही संक्रमितों की संख्या ज्यादा हो, लेकिन इससे होने वाली मौतों की संख्या में कमी आती जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि जो वायरस जितनी तेजी से फैलता है, वह उतना ही कमजोर होता है जबकि खतरनाक वायरस का प्रसार कम लोगों तक ही हो पाता है। कमजोर वायरस से लड़ने के लिए शरीर समय के साथ खुद को तैयार भी कर लेता है, इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि अब कोरोना संक्रमण के मामलों में भले ही तेजी आए, लेकिन मौतों की संख्या कम होगी।



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