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    नई शिक्षा नीति पर आज पहली बार बोलेंगे पीएम मोदी, बताएंगे कैसे मिलेगा बच्चों को फायदा

    PM Narendra Modi to deliver inaugural address at conclave on new National Education Policy on Friday Image Source : PTI

    नई दिल्ली: देश में नई शिक्षा नीति की घोषणा की जा चुकी है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से आयोजित कॉन्क्लेव में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई शिक्षा नीति पर अपनी बात रखेंगे। 34 साल बाद बदलाव में लाई गई शिक्षा नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मामलों पर चर्चा करेंगे।

    पीएम मोदी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आज 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों पर सम्मेलन' में उद्घाटन भाषण देंगे। देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद पहली बार पीएम मोदी इस विषय पर भाषण देने वाले हैं। 

    सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कवर किए गए शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि समग्र, बहु-विषयक एवं भविष्य की शिक्षाएं, गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और शिक्षा में बेहतर पहुंच के लिए प्रौद्योगिकी के समान उपयोग पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थानों के निदेशक और कॉलेजों के प्रधानाचार्य एवं अन्य हितधारक इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। कार्यक्रम को सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम किया जाएग।

    केंद्रीय कैबिनेट देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे चुकी है। इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने हेतु गठित समिति द्वारा तैयार किए गए एनईपी 2019 और उस पर प्राप्त हितधारकों की प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों के आधार पर इसे तैयार किया गया है।

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी। 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए। लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई।"



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